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January 01, 2018

द्वन्द कहाँ तक पाला जाये?

द्वन्द कहाँ तक पाला जाये , युद्ध कहाँ तक टाला जाए ।
तू है वंशज महाराणा का, फेंक जहाँ तक भाला जाए ।

अब मनोकामना पूरी कर दो, रक्त चटाकर तलवारों को..
महारुद्र को शीश नवाकर, नव अश्वमेध कर डाला जाए।

निरीहों को जीवन देना, परन्तु पृष्ठ-आघात अक्षम्य रहे।
प्रखर समर के बीचोबीच,  ऐसा रणघोष बजा डाला जाए।

समस्त धरा कुरुक्षेत्र बना, इतनी सामर्थ्य जुटा फिर से।
असुरों का सर्वस्व् मिटा, ताकि, कहीं..पुनः अधर्म न पाला जाए।

हे पार्थ ! अब गाण्डीव उठा, लक्ष्य पे दृष्टि अड़ाकर रख।
प्रथम ध्वनि संकेत मिले...और लक्ष्यभेद कर डाला जाए।

"अंकुर" शौर्यगति पा जाए, अथवा परिणाम विजय माला आए।
बस वीरों की पंक्ति सुशोभित हो,  इतना नाम कमा डाला जाए।

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