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March 09, 2019

Dam Dam Sada Samalda Shabad (दम दम सदा समालदा दम न बिरथा जाये) Lyrics and Translation In English

हते हैं कि बाबा  नानक  ने एक बार भाई मरदाना (who was longtime companion of Guru Nanak Dev Ji) से सवाल किया कि तुम्हें कितने दम (कितनी साँस) का भरोसा है। जवाब में मरदाना ने सौ दम का भरोसा होने की बात कही। यही सवाल नानक जी ने अपने दूसरे साथी भाई बाला (who was childhood friend and lifelong companion of Bhai Mardana and Guru Nanak Dev ji) से पूछा तो उसने कहा कि सच्चे पातशाह, मुझे तो दस दम का ही भरोसा है।

अब सवाल करने की बारी मरदाना की थी। उसने पूछा कि बाबा! भला आपको कितने दम का भरोसा है?

बाबा नानक मुस्कराए और बोले, मुझे तो सिर्फ एक दम (साँस) का भरोसा है, केवल वही दम जो मैं इस समय ले रहा हूं। जो दम चला गया वह दोबारा लौट कर नहीं आ सकता, इसलिए वह मेरा नहीं हो सकता। अगला दम आएगा भी कि नहीं, इस बात का कोई भरोसा नहीं।

'हम आदमी हां इक दमी, मुहलति मुहतु न जाणा!' हम मनुष्यों की तो बस एक ही साँस है, यहाँ हमें एक साँस की बख्शीश मिली है।

लेकिन यह जो मोहलत हमें मिली है, जो समय हमें मिला है, हम उसका महत्व नहीं समझ पाते। उसका मूल्य नहीं जान पाते। बात बेशक एक दम की है, लेकिन जिंदगी का बहुत बड़ा फलसफा छिपा पड़ा है बाबा नानक के जवाब में।

इंसान की पूरी जिंदगी ही दम के दम, दम की बुनियाद पर खड़ी है। यह शरीर जिसे कबीर माटी का पुतला कहते हैं, दम के सहारे कायम है।

वह दम जो अदृश्य है, लेकिन दृश्य और स्थूलकाय शरीर को ज़िंदा रखता है। दम चलता है तो शरीर भी चलता है। दम निकला तो सुंदर शरीर भी निर्जीव, निष्प्राण और ढेर हो जाता है। लाख की देह खाक की हो जाती है। माटी माटी में मिल जाती है।

जीवन में सारे संबंध ही दम के हैं। दम निकला तो रिश्तों की डोर भी टूट जाती है। बिना दम की देह को कौन अपने घर रखता है? जीवन-मरण की संगिनी कही जाने वाली अर्द्धांगिनी भी 'प्रेत- प्रेत' कह कर उससे दूर भागती है। जैसा कि गुरु तेगबहादुर जी फरमाते हैं- 'घर की नार बहुत हित जा सियों, सदा रहत संग लागी। जब ही हंस तजी इह काइआ, प्रेत प्रेत कर भागी।'

सो, जाहिर है, महत्व पुतले का नहीं, पुतले के अंदर चल रहे दम का है। शरीर के पांच तत्वों में दम यानी पवन ही प्रधान है। बाकी चार तत्व तो उसके सहायक हैं। इसीलिए गुरुवाणी में पवन को गुरु का आध्यात्मिक दर्जा दिया गया है, ' पवन गुरू पाणी पिता माता धरत महत....।' अचेत पड़ा व्यक्ति जिंदा है या मृत- इसका फैसला भी उसके दम यानी सांस को देखकर ही किया जाता है। सांस है तो जीवन है, सांस नहीं तो जीवन नहीं।

लेकिन बहते पानी की तरह व्यर्थ जाते दमों को संभालने, उनका सदुपयोग करने की ओर ध्यान कम ही जाता है। इसीलिए आध्यात्मिक पुरुष कहते हैं कि हर दम के साथ उस परमात्मा का ध्यान और कोई नेक काम करो ताकि लिया गया प्रत्येक दम सफल हो- दम दम सदा संभाल दा, दम न बिरथा जाए।

Dam Dam Sada Samalda Lyrics In Hindi
धुरि खसमै का हुकमु पइआ, विणु सतिगुर चेतिआ न जाइ ॥
सतिगुरि मिलिऐ, अंतरि रवि रहिआ सदा रहिआ लिव लाइ ॥

दम-दम सदा सँभालदा, दम ना बिरथा जाइ ॥
जनम मरन का भउ गइआ जीवन पदवी पाइ ॥
नानक इहु मरतबा तिस नो देइ जिस नो किरपा करे रजाइ ॥२॥

Dam Dam Sada Samalda Meaning In Hindi
धुर से ही प्रभू का हुकम चला आ रहा है कि सतगुरु  के बिना प्रभू का सिमरन नहीं किया जा सकता;
सतगुरु के मिलने पर प्रभू मनुष्य के हृदय में बस जाता है और मनुष्य सदा उसमें बिरती जोड़े रखता है

 श्वास-श्वास उसको चेता करता है, एक भी श्वास व्यर्थ नहीं जाता;
 इस तरह उसका) पैदा होने मरने का डर खत्म हो जाता है और उसको (असल मानस) जीवन का दर्जा मिल जाता है।

हे नानक! प्रभू ये मर्तबा (भाव, जीवन पदवी) उस मनुष्य को देता है जिस पर अपनी रजा में मेहर करता है


NOTE: धुर means dust, here it signifies the very beginning.

Dam Dam Sada Samalda Lyrics In Punjabi
ਧੁਰਿ ਖਸਮੈ ਕਾ ਹੁਕਮੁ ਪਇਆ ਵਿਣੁ ਸਤਿਗੁਰ ਚੇਤਿਆ ਨ ਜਾਇ ॥
ਸਤਿਗੁਰਿ ਮਿਲਿਐ ਅੰਤਰਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਦਾ ਰਹਿਆ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥

ਦਮਿ ਦਮਿ ਸਦਾ ਸਮਾਲਦਾ ਦੰਮੁ ਨ ਬਿਰਥਾ ਜਾਇ ॥
ਜਨਮ ਮਰਨ ਕਾ ਭਉ ਗਇਆ ਜੀਵਨ ਪਦਵੀ ਪਾਇ ॥

ਨਾਨਕ ਇਹੁ ਮਰਤਬਾ ਤਿਸ ਨੋ ਦੇਇ ਜਿਸ ਨੋ ਕਿਰਪਾ ਕਰੇ ਰਜਾਇ ॥੨॥

Dam Dam Sada Samalda Lyrics In English
Dam dam sada samalda, dam na birtha jaye..
Janam maran ka bhau gaya, jeevan padvi paye..

Dhur khasmai ka hukam bhaya, bin satgur chetiya na jaye..
Satgur miliyae antar rab raheya, sada raheya liv laaye..
Nanak eh martaba tis no de, jis no kripa kare rajaye.. 

Dam Dam Sada Samalda Meaning In English
From the very beginning, it has been the Will of the Lord Master, that He cannot be remembered without the True Guru..
Meeting the True Guru, he realizes that the Lord is permeating and pervading deep within him; he remains forever absorbed in the Lord's Love..

With each and every breath, he constantly remembers the Lord in meditation; not a single breath passes in vain..
His fears of birth and death depart, and he obtains the honored state of eternal life..
O Nanak, He bestows this rank upon that mortal, upon whom He showers His Mercy..

-K Himaanshu Shuklaa..

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