चेयर पे बैठा प्रतिबोध पथराई आखों से एकटक सामने दीवार पर टंगी एकवीरा आई की तस्वीर को देख रहा था। उसने दीवार पर अपना सर टिकाया और आखें मूँद ली। वो चाहता था ये सब एक बुरे सपने की तरह खत्म हो जाए, वो भागना चाहता था सच से बहुत दूर और छुप जाना चाहता था अपनी आई के आँचल में।