कल १७ अक्टूबर, शनिवार से शारदीय नवरात्री आरम्भ होगी, दुर्गा माँ कैलाश से हमारे पास, अपने मायके आएगी ९ दिनों के लिए।
जैसा की मैंने पिछले साल भी लिखा था, पता नहीं ये सब कितना सच है पर देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। कुछ बातों का कोई प्रमाण नहीं होता, बस एक विश्वास होता है जो अक्सर कुछ बातें आँखें मूँद के मान लेने पर विवश करता है।
माँ पिछले साल गज यानी हाथी पर आयी थी, इसीलिए पिछला वर्ष वर्षा के लिहाज से अच्छा रहा, भारी बारिश ने नुक्सान पहुंचाया और राजनितिक उथल पुथल रही। जाते वक़्त माँ पैदल गयी, जो निराशा और व्याकुलता का सूचक है इसीलिए कोरोना जैसी महामारी ने दुनिया को कुछ वक़्त के लिए थाम दिया, दुःख, निराशा, पैसो की तंगी ने जाने कितनो को व्याकुल किया, जाने कितने घर उजड़े, जाने कितने लोग मौत का ग्रास बने। पर आगे तो बढ़ना होता है ना, लड़ना होता है, गिरके फिर संभालना होता है। कभी कभी लम्बी दुरी तय करने के लिए थोड़ा सा आराम ज़रूरी है, बहुत कुछ पाने के लिए थोड़ा सा कुछ खो देना जायज़ है। खैर..
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि करीब एक महीने की देरी से शनिवार 17 अक्टूबर से आरंभ हो रहे है, इस दिन मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी। जब माता दुर्गा नवरात्रि पर घोड़े की सवारी करते हुए आती हैं तब पड़ोसी से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और सत्ता में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढ़ने की संभावना रहती है।
एक तरफ सीमा पर हमारा पडोसी चीन और पाकिस्तान टिकटिकी लगाया युद्ध की प्रतीक्षा कर रहा है, वही देश के नेता भड़काऊ भाषण देकर अपनी राजनीती की रोटियां सेक रहे है और हम धृतराष्ट्र बने अपने हस्तिनापुर, अपने भारत में गृह युद्ध को आमंत्रण दे रहे है। समय रहते हमने अपने घर पर बैठी इन नेता रूपी मन्थराओ का नाश नहीं किया तो फिर चाहे माँ घोड़े पर आये या डोले पर गृह युद्ध और विनाश निश्चित है।
नवरात्रि का समापन 24 अक्टूबर (शनिवार) को ही होगा, पंचांग के अनुसार उस दिन अष्टमी तथा नवमी दोनों तिथी है। ऐसे में 25 अक्टूबर (रविवार) को दशमी आ जाने से दशहरा मनाया जाएगा। रविवार को दशहरा होने के कारण माँ इस बार महिषा याने भैंस की सवारी करके जायेगी। भैंसा अशुभ घटनाओं तथा पीड़ा का कारक हैं, इससे देश में रोग और शोक की वृद्धि होती होगी।
इस प्रकार मां का आना और जाना दोनों ही अशुभ संकेत दे रहा। वैसे सोचके देखिये क्या ये सब हमारे कर्मों का फल नहीं हैं?
माँ आपको स्वस्त सुरक्षित रखे, आपको लड़ने, आगे बढ़ने की प्रेरणा दे यही आशा हैं .
ॐ शांति!
-K Himaanshu Shuklaa..
bahut achcha likha hai bittu
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