August 01, 2022

#ShortStory: Makhmali Khwaab


 "मैंने इलेक्ट्रिसिटी बिल का ऑनलाइन पेमेंट कर दिया है, आप प्लीज आज एसी ठीक करा लेना," उसने अपना मोबाइल चार्जिंग से निकालते हुए कहा। 

मैंने उसे पलट कर देखा, उसकी आँखों में आज एक अलग सी चमक और होठों पर रहस्यमयी मुस्कान तैर रही थी। मैंने उससे पुछा, "तुम इतना जो मुस्कुरा रही हो, क्या राज़ है जो छुपा रही हो?"

"सरप्राइज है,ऑफिस से आने के बाद बताती हूँ," उसने अपनी बिखरी हुई एक लट को अपने जुड़े में खौसते हुए कहा। 

"प्लीज बताओ ना अभी, क्या सरप्राइज है," मैंने उसके दुप्पटे का एक कोर खींच कर बच्चो सी मनुहार की।  

बड़ी बड़ी गोल कत्थई आँखों वाली ये लड़की दिखने में बेहद मासूम पर पत्थर दिल वाली है। वैसे अगर इसे बाहों में भर लु तो ये मोम सी क़तरा क़तरा पिघल जाती है। पर आज जाने क्या बात है पिघलना तो दूर, इस बद्तमीज़ लड़की ने मुझे उससे छु लेने का मौका भी नहीं दिया। मुस्कुराती हुई, नज़रे चुराती हुई ऑफिस चली गयी।  

वर्क फ्रॉम होम ही चल रहा है मेरा, कब दिन ढला, कब रात के 8 बज गए पता ही नहीं चला। प्रेजेंटेशन देने के बाद मैं अपनी आखें बंद करके सुस्ता रहा था, के अचानक किसी के मखमली हाथों ने मेरे गालों को छुआ। 

"सर में दर्द है क्या? चाय बना दू?," उसने पुछा।  

"तुम कब आयी? चाय को मारो गोली ये बताओ सरप्राइज क्या है?" मैंने उसके गालों को खींचते हुए कहा। वो गाल जो आज थोड़े ज्यादा गुलाबी लग रहे थे।

उसने एक गहरी साँस ली, और बेड पर बैठ गयी। उसने आखों से कुछ इशारा किया और मैं उछाल कर उसकी गोद में सर रखके लेट गया। 

"इस बार 15th अगस्त मंडे को है ना, और तुम्हारी 16th को भी छुट्टी है। सैटरडे संडे मिलकर पूरे 4 दिन की छुट्टी। हम कही घूमने जा रहे है," उसने कहा। 

"अरे? तुम्हारा तो सैटरडे वर्किंग है, और ट्यूसडे को तुम्हारी क्लाइंट मीटिंग है उसका क्या? क्या सुबह तुम जिस सरप्राइज की बात कर रही थी वो ये 4 दिन घूमने जाने का प्लान है?" मैंने असमंजस में पुछा। 

"उफ़ कितने सवाल करते हो? बॉस ने मेरी छुट्टी अप्रूव कर दी है। और ये घूमने जाना पहला सरप्राइज है," उसने कहा।  

उसके होठों पर फिर एक रहस्यमयी हसीं तैरने लगी। उसने मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए कहा, "चलो अब उठो  मैं चाय बनाके लाती हु।"

इस बार मैंने मौका जाने नहीं दिया और उसे बाहों में भर लिया। "बताओ क्या है दूसरा सरप्राइज?," मैंने पुछा और  संगमरमर से बदन वाली वो लड़की पिघल गयी मोम की तरह।  

"तुम कहते थे ना  तुम्हे वहाँ जाना है?," उसने दीवार की तरफ लगी एक तस्वीर की तरफ इशारा करके कहा। 

"बुलावा आ गया है, मैंने कटरा के टिकिट्स बुक करा लिए है," ये कहते हुए उसने मेरा हाथ अपने पेट पर रखा और शर्माते हुए कहा, "टेस्ट पॉजिटिव आया है। I am pregnant."

इतने सालों से वैष्णव देवी जाने का ख्वाब देखा था हमने और इंतजार किया था दो से तीन होने का।आज दोनों सपने सच होते देख हमारी आखें भीग गयी। मैंने उसकी आखों को चूमा और उसके आंसू का एक क़तरा मेरे बाए गाल से होकर मेरे दिल के किसी कोने में जज़्ब हो गया।

अलार्म के आवाज़ से आँख खुली, 7 बजे गए थे और मेरा सपना टूट गया था।

वो नहीं थी मेरे पास...हां तकिये पर आंसुओं की नमी थी । था वो एक खूबसूरत  सपना पर उसके दुप्पटे का वो कोर, उसके मखमली हाथों की छुअन, साँसों की महक और आंसू की तपिश अब भी मेरे गालों पर ताज़ा है।  

-K Himaanshu Shuklaa..
PS: This is not merely a story; it is actually inspired by a real dream.

5 comments:

  1. Rula dete hoo yaar

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  2. Sorry Shukla ji

    :(

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  3. तुमको कदाचित लग रहा के उसको तुमने खो दिया
    झाको स्वयं के मन में तुम, वो तो तुम्ही में बस रही

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  4. This is very tragic. I hope your dream comes true.

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