आग पे कैसे धरेगी पाँव?
बच जाए तो देवी माँ, है जल जाए तो पापन..
जिसका रूप जगत की ठंडक, अग्नि उसका दर्पण
सब जो चाहे सोचे समझे, लेकिन वो भगवान्
वो तो खोट कपट के वैरी वो कैसे नादान?
अग्नि पर उतरके सीता जीत गयी विश्वास
देखा दोनों हाथ बढाए, राम खड़े थे पास
उस दिन से सांगत में आया, सच मुच का वनवास
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