कल किसी ने प्रश्न किया, 'तुम्हे राम प्रिय है या कृष्णा?'
कितना छोटा और आसान सवाल था, पर जवाब देना अत्यंत दुष्कर। मुझे मौन और अपने नाखून चबाते हुए देख कर, प्रश्न करने वाला मेरी दुविद्या समझ गया।
उसने दूसरा प्रश्न पूछा, 'तुम्हे राम और कृष्णा में क्या फर्क लगता है? सोचो अगर दोनों तुम्हारे सामने आ जाए तो तुम्हारी क्या प्रतिक्रिया होगी? पहले किससे जाके मिलोगे?'
सवाल सुनकर मेरे चेहरे पे ख़ुशी तैरने लगी। कितना सुन्दर हो अगर राम कृष्ण दोनों सामने आ जाए। मेरी ख़ुशी का ठीखाना न रहेगा, सच कहु अगर ऐसा हो जाए तो मैं फुट फुट कर रो पढूंगा।
राम कृष्णा दोनों विष्णु के अवतार है, पर दोनों का स्वभाव विपरीत। जैसे दूध से बना दही और घृत, दोनों अंश दूध के पर रूप, रंग, स्वाद में अत्यंत अलग।
एक ह्रदय में प्रेम बढावे, एक ताप संताप मिटावे | दोनों सुख के सागर है, और दोनों पूरण काम |
दोनों सौम्या पर राम गंभीर, कृष्णा चंचल। एक सज्जन, एक बदमाश। राम को ह्रदय में रखने का मन करता है, और कृष्णा उसी ह्रदय को चोरी करने की कला में पारंगत।
आवश्यकता पड़ने पर राम राह दिखाते है, और कृष्णा उस राह पर हाथ पकड़ कर चलना सिखाते है।
अगर कभी तेज़ बुखार हो जाए, तो राम दवाई लेकर आ जाए, पर तपते माथे पर ठन्डे पानी की पट्टियां रखने वाले कृष्णा होंगे।
दुःख में राम आंसू पोछने आ जायेगे और कृष्णा हमें दुखी देख कर शायद खुद रो दे। राम में अपनत्व है, कृष्णा में ममता।
मैंने कभी ईश्वर को ईश्वर समझ कर नहीं पूजा, मेरे लिए कभी वे पिता, कभी माँ, बड़े भाई, बहन, कभी दोस्त संगी साथी ही रहे है।
क्यूंकि राम थोड़े गंभीर लगते है, उनमे मुझे बड़े भाई की छवि दिखती है। चालाक, नौटंकीबाज़ कृष्णा किसी अतरंग सखा जैसे लगते है। इसीलिए अगर किसी दिन दोनों एक साथ सामने आ जाए तो शायद मैं राम के गले लग जाऊ और कृष्णा को गले लगा लू।
गले लगना और गले लगा लेना में बहुत अंतर है।
बड़े भाई से राम के लिए आदर सम्मान है, इसीलिए आगे बढक़े उनके 'गले लगना' होगा। कृष्णा साथी है, अगर सामने आ जाए तो उनके दोनों गाल पकड़ने और हाथ खींच कर 'गले लगाने' का अधिकार है।
वैसे पैर छूना चहिये ऐसा सब कहते है, इसमें मुझे कोई आपत्ति भी नहीं। पर पैर छूने की औपचारिकता मुझसे न होगी। मैं तो गले मिलना पसंद करुगा, पहले राम, फिर कृष्णा के।
वैसे राम और कृष्णा में कोई स्पर्धा नहीं है, किसी को भी पहले गले मिलो, प्रणाम करो दूसरा बुरा नहीं मानेगा। फिर भी मैं राम से पहले गले मिलुंगा, कृष्णा सखा है वे इस बात का भला क्यों बुरा मानेगे? हो सकता है वे उत्तेजित होकर खींच ले मुझे और अपने गले लगा ले। उफ़..
-K Himaanshu Shuklaa..
अध्यात्म से जुड़ी बातें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
Prabhu ji, bahut achcha likha hai aapne.
ReplyDeleteHari Bol !
ReplyDeleteAww plus aww
ReplyDeleteMarvelous thoughts.
ReplyDelete