आज दोपहर में खाना बनाते वक़्त चावल में कुछ कीड़े दिखे, मैंने सोचा चावल फेकने से बेहतर है इन्हे धुप में रख दू। श्याम को जब मैं चावल की प्लेट खिड़की से उठाने गया तो देखा, ४-५ चिड़िया और कुछ कबूतर बड़े आराम से चावल खा रहे है। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने ज़ोर से चिल्लाया, बिचारे चिड़िया और कबूतर डर के उड़ गए। ज्यादा नुक्सान नहीं हुआ ये सोचके मैं ख़ुश हो ही रहा था के गुरु नानक देव जी की एक बात याद आ गयी।
लॉकडाउन के तकरीबन २ हफ्ते पहले वर्सोवा के गुरुद्वारा साहिब सचखंड दरबार जाना हुआ था, वहाँ गुरु नानक देव जी से जुड़ी की खूबसूरत बात सुनने को मिली। नानक के पिता का नाम कल्यानचंद दास बेदी था, जो पेशे से पटवारी हुआ करते थे।