आज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है। कहते है आज ही के दिन भगवान् विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था, इसीलिए आज का दिन नरसिंह जयंती के रूप में बनाया जाता है।
मुझे बचपन से ये अवतार थोड़ा भयानक लगा क्यूंकि हर जगह नरसिंह जी का सिर्फ रौद्र रूप देखा। करीब करीब एक दशक पहले जब मैं जुहू के इस्कॉन टेम्पल गया तब वहाँ एक छोटे बच्चे को रोते हुए देखा, वो नरसिंह के भयावह रूप वाली मूर्ति देखकर डर गया था।
"डरते नहीं बेटा ये भगवान् है," बच्चे की माँ उससे ये कहकर चुप करा रही ही ।
"नरसिंह रूप देखके डर तो स्वाभाविक है," मेरे मुँह से सहसा निकल पड़ा ।
साथ ही खड़े एक उम्र दराज़ शख्स ने मुस्कुराते हुए कहा, "स्वाभाविक नहीं है। नरसिंह अवतार देखकर तो बिलकुल भी नहीं ।"
"क्यों भला?," मैंने पुछा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।"
फिर उन्होंने अपने मोबाइल फ़ोन में एक फोटो दिखाया जिसमे नरसिंह जी किसी बच्चे को गले लगाए हुए थे। "ये प्रह्रलाद है जो नरसिंह जी के द्वारा अपने पिता हिरण्कश्यपु का वध देखके डर गया है। देखो नरसिंह जी अपने भक्त को कितनी मासूमियत से गले लगाए हुए है। बताओ इस रूप को देखके भय आता है?," जब अंकल ने ये पुछा तो मैंने मुस्कुराते हुए ना में गर्दन हिला दी।
"जब भी नरसिंह का रौद्र रूप देखो तब आँखें बंद करके १ पल के लिए कल्पना करो जैसे नरसिंह जी तुम्हे गले लगा रहे हो, जैसे प्रह्रलाद को लगा रहे है मेरे मोबाइल के इस फोटो में । जैसा सुनोगे, जैसी मूर्ति देखोगे, ईश्वर की वैसी छबि मन में बनाओगे। हमेशा याद रखो ईश्वर भयनाशक है, भयदायक नहीं," अंकल ये कहके जाने लगे।
मैंने उन्हें request किया की वे मुझे अपने मोबाइल से वह photo send करे, क्यूंकि सामान्य रूप से नरसिंह जी की हिरण्कश्यपु के पेट फाड़ते हुए ही तस्वीर या मूर्ति दिखती है । तब mobile में whatsapp या email नहीं हुआ करता था इसीलिए जब मैंने request की तो अंकल ने नरसिंह जी की वह फोटो bluetooth से मुझे send की।
आज नरसिंह जयंती है सोचा आप सबके साथ भी नरसिंह की ये सौम्य रूप वाली तस्वीर साझा कर दू।
हमारा स्वाभाव है हम जैसा देखते-सुनते है वैसे ही हमारा रूप गुण आकार लेने लगता है। कोशिश कीजियेगा नरसिंह जी की ऐसी ही कोई तस्वीर अपने मोबाइल में रखे रौद्र रूप वाली नहीं।
-K Himaanshu Shuklaa..
मुझे बचपन से ये अवतार थोड़ा भयानक लगा क्यूंकि हर जगह नरसिंह जी का सिर्फ रौद्र रूप देखा। करीब करीब एक दशक पहले जब मैं जुहू के इस्कॉन टेम्पल गया तब वहाँ एक छोटे बच्चे को रोते हुए देखा, वो नरसिंह के भयावह रूप वाली मूर्ति देखकर डर गया था।
"डरते नहीं बेटा ये भगवान् है," बच्चे की माँ उससे ये कहकर चुप करा रही ही ।
"नरसिंह रूप देखके डर तो स्वाभाविक है," मेरे मुँह से सहसा निकल पड़ा ।
साथ ही खड़े एक उम्र दराज़ शख्स ने मुस्कुराते हुए कहा, "स्वाभाविक नहीं है। नरसिंह अवतार देखकर तो बिलकुल भी नहीं ।"
"क्यों भला?," मैंने पुछा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।"
फिर उन्होंने अपने मोबाइल फ़ोन में एक फोटो दिखाया जिसमे नरसिंह जी किसी बच्चे को गले लगाए हुए थे। "ये प्रह्रलाद है जो नरसिंह जी के द्वारा अपने पिता हिरण्कश्यपु का वध देखके डर गया है। देखो नरसिंह जी अपने भक्त को कितनी मासूमियत से गले लगाए हुए है। बताओ इस रूप को देखके भय आता है?," जब अंकल ने ये पुछा तो मैंने मुस्कुराते हुए ना में गर्दन हिला दी।
"जब भी नरसिंह का रौद्र रूप देखो तब आँखें बंद करके १ पल के लिए कल्पना करो जैसे नरसिंह जी तुम्हे गले लगा रहे हो, जैसे प्रह्रलाद को लगा रहे है मेरे मोबाइल के इस फोटो में । जैसा सुनोगे, जैसी मूर्ति देखोगे, ईश्वर की वैसी छबि मन में बनाओगे। हमेशा याद रखो ईश्वर भयनाशक है, भयदायक नहीं," अंकल ये कहके जाने लगे।
मैंने उन्हें request किया की वे मुझे अपने मोबाइल से वह photo send करे, क्यूंकि सामान्य रूप से नरसिंह जी की हिरण्कश्यपु के पेट फाड़ते हुए ही तस्वीर या मूर्ति दिखती है । तब mobile में whatsapp या email नहीं हुआ करता था इसीलिए जब मैंने request की तो अंकल ने नरसिंह जी की वह फोटो bluetooth से मुझे send की।
आज नरसिंह जयंती है सोचा आप सबके साथ भी नरसिंह की ये सौम्य रूप वाली तस्वीर साझा कर दू।
हमारा स्वाभाव है हम जैसा देखते-सुनते है वैसे ही हमारा रूप गुण आकार लेने लगता है। कोशिश कीजियेगा नरसिंह जी की ऐसी ही कोई तस्वीर अपने मोबाइल में रखे रौद्र रूप वाली नहीं।
-K Himaanshu Shuklaa..
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