December 11, 2021

दुल्हन बनाके हमको कान्हा जी ले जाना


जब भी मुंबई के जुहू इस्कॉन जाना होता है, वहाँ कोई कोना पकड़ कर बैठ जाता हु। कुछ देर, कभी कभी तो कुछ घंटो तक वहाँ आँख बंद करके बैठा रहता हु, ऐसे करने से बहुत आनंद की अनुभूति होती है मुझे। 

कुछ दिन पहले इस्कॉन जाना हुआ, हमेशा की तरह एक कोने में आँखें बंद करके मैं जाने किस सोच में गुम था। अचानक किसी फ़िल्मी गाने की आवाज़ से तन्द्रा टूटी। 

मेरे पास बैठी एक लड़की ने जाने किस खुमारी में अपने मोबाइल पर इंस्टाग्राम खोल लिया था, कोई रील देख रही थी शायद। संयोग से वॉल्यूम भी फुल था, और गाना बज उठा 'सबकी बारातें आयी डोली तू भी लाना'। सलमान खान, उर्मिला मातोंडकर की फिल्म 'जानम समझा करो' का गाना था।  

आस पास वाले कुछ लोग उस बेचारी लड़की को घूर कर देखने लगे और मुझे हसी आ गयी। मैं सोचने लगा क्या ये गाना हम कृष्णा के लिए गा सकते है? 

'सबकी बारातें आयी डोली तू भी लाना, दुल्हन बनाके हमको कान्हा जी ले जाना' 

शायद २००१ की बात है, इंदौर में कनकेश्वरी देवी रामायण कथा करने आयी थी तब वहाँ उन्होंने एक भजन गाया था, 'लेके डोली पिया द्वार पे आ गए मेरे अरमा पड़े के पड़े रह गए। लाख की ज़िन्दगी ख़ाक बन गयी, सारे घर के खड़े के खड़े रह गए'।  

यहाँ पिया शायद यमराज थे और डोली मतलब अर्थी।  

कोई बताये, क्या हम कृष्णा से डोली लाने की मनुहार नहीं कर सकते? मरने की फ़रियाद करना गलत हो, पर सुखान्त की आशा करना तो गलत नहीं? 

'सुखान्त' मतलब शांतिपूर्ण देह त्याग। जब आत्मा मोह माया से मुक्त होकर ख़ुशी ख़ुशी शरीर छोड़ दे और आगे की यात्रा बिना किसी दुःख संताप के आरम्भ करे। 

क्या हम कृष्णा, जो सबके प्राणपति है उनसे कह सकते है, की जब भी मौत आये लेने तुम्ही आना और मेरी आत्मा को दुल्हन बनाके ले जाना?

आइये मजरूह सुल्तानपुरी के इस गाने को, जिसे अल्का याग्निक ने गाया है, उसे एक भक्त की नज़र से देखते है:

सबकी बारातें आयी डोली तू भी लाना, दुल्हन बनाके हमको कान्हा जी ले जाना
बाँध के सेहरा हमसे मिलके, निकलेंगे सारे अरमा दिलके 
आँखों में तारे नाचे, घूंघट यु उठाना, फिर हमको हौले हौले बाहों में छुपाना 

कृष्णा जब मौत आये तो, मुझे लेने तुम्ही आना। जब तुम सेहरा बांध के लेने आओगे तब कोई और कामना शेष न रह जायेगी। 'घूंघट उठाना', मतलब देह से आत्मा को विरक्त करना और 'फिर हौले हौले बाहों में छुपाना' मतलब खुद में समां लेना।  

अपनों से जुदा मैं होती हुई, कुछ हसती हुई, कुछ रोती हुई 
जब छोडूगी बाबुल की गली, तुमरे अंगना आऊगी चली 

जब तन मन से तेरी बनूंगी, गोरी बईया मेरी धरना हौले से  
मेहँदी वाले हाथों की चूड़ी खनकाना, फिर हौले हौले मुझको बाहों में छुपाना 

जब मैं 'आत्मा' अपने रिश्तेदार, दोस्तों, संगी साथी छोड़कर जाऊंगी तब रोना आएगा, पर कृष्णा तुम रहोगे तो ख़ुशी भी होगी। मैं अपने 'बाबुल' मतलब अपना शरीर छोड़के तुम्हारे साथ आऊगी, तब मैं पूर्ण रूप से तुम्हारी हो जाऊंगी। हे मुरलीधर जिस भाव से तुम अपनी मुरली पकड़ते हो वैसे ही प्रेम से मेरा हाथ भी पकड़ लेना और खुद में समां लेना।  

फिर बिंदिया की सब चाँदनीय और पायल की सब रागिनियाँ 
तेरे घर आँगन में लूटा देगी, दूल्हे राजा तेरी दुल्हनिया 

पहले तुम खेलना मेरे रंग रूप से, फिर चुन डालना अंग अंग की कलियाँ 
गोरे तन के फूलो से सेजिया सजाना, फिर हौले हौले मुझको बाहों में छुपाना 

आत्मा अपने रासबिहारी से कहती है, मैं अपना सर्वस्व तुझ पर लूटा दूँगी। 'पहले तुम खेलना मेरे रंग रूप से, फिर चुन डालना अंग अंग की कलियाँ' में शायद लम्पटता झलकती है, पर भक्त की आँखों से इसका  अभिप्राय कुछ और ही है।  भक्त कहता है, वासुदेव जैसे तुमने खेल खेल में कुबेर के बेटे नलकुबेर और मणिग्रीव का उद्धार किया था, वैसा ही उपकार मुझपर करना। पहले खेल खेल में मुझे पाप मुक्त करना, फिर मेरे हर छोटे छोटे गुण चुन लेना और मुझे खुद में समां लेना।

-K Himaanshu Shuklaa..

अध्यात्म से जुड़ी बातें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे 

NOTEIf you enjoy our content and want to support us, please consider donating via  gpay, phonepay or paytm on +91 9920600280. Also, I’d appreciate if you’d buy me a coffee☕ 

https://www.buymeacoffee.com/greekykhs


4 comments: